लॉकडाउन तोड़ने के साइड इफेक्ट : पुलिस की लाठी से बच गए तो भी हो सकती है दो साल की जेल!

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भारत में अब भी लॉकडाउन चल रहा है. कम से कम 3 मई तक स्थितियां ऐसी ही रहने वाली हैं. फिर भी कुछ लोग सड़क पर निकल रहे हैं. कुछ के पास वाजिब वजहें हैं तो कुछ वेवजह सड़कों पर घूमते हुए दिख जा रहे हैं. पुलिस कुछ जगहों पर लोगों को समझाते हुए दिख जा रही है तो कुछ जगहों पर लाठियों से पीटते हुए दिख जा रही है. और इसे लेकर पुलिसिया कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान भी खड़े हो रहे हैं. सवाल खड़े करना सही भी है, क्योंकि पुलिस किसी को लाठी नहीं मार सकती. लेकिन इस लॉकडाउन के दौरान पुलिस को इतने अधिकार मिले हुए हैं कि वो लॉकडाउन तोड़ने वालों को कम से कम दो साल के लिए जेल भेज सकती है.

15 अप्रैल से भारत में लॉकडाउन पार्ट 2 शुरू हुआ है. और इस दूसरे लॉकडाउन के लिए केंद्रीय गृहमंत्रालय की ओर से कुछ निर्देश जारी किए गए हैं. केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला की ओर से देश के सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में ये साफ किया गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत हर राज्य को लॉकडाउन का पालन करवाना ही है. इस आदेश के जरिए कई तरह की गाइडलाइंस जारी की गई हैं. जो भी आदमी इन गाइडलाइंस का पालन नहीं करेगा, उनके खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 51 से 60 के तहत ऐक्शन होगा.

इसके मुताबिक अगर कोई आदमी लॉकडाउन का उल्लंघन करता है, तो उसे धारा 51 के तहत एक साल की कैद और जुर्माना हो सकता है. अगर आदमी के लॉकडाउन तोड़ने से जानमाल का नुकसान होता है, तो सजा की अवधि दो साल तक हो सकती है. इसके अलावा अगर राहत सामग्री या पैसे पाने के लिए कोई आदमी झूठ बोलता हुआ पाया जाता है, तो धारा 52 और 53 के तहत उसे दो साल तक की जेल हो सकती है. अगर कोई झूठी खबर फैलाकर पैनिक क्रिएट करता है, तो उसके खिलाफ धारा 54 के तहत ऐक्शन हो सकता है और उसे एक साल की जेल हो सकती है और उसपर जुर्माना लगाया जा सकता है. अगर कोई सरकारी कर्मचारी गलतियां करता हुआ पाया जाता है या फिर वो अपना काम लापरवाही से करता हुआ पाया जाता है, तो उसके खिलाफ भी ऐक्शन लिया जा सकता है और धारा 55 और 56 के तहत एक साल की जेल और जुर्माना लगाया जा सकता है.

इस पूरे अधिनियम में कहीं पर भी ये नहीं लिखा है कि पुलिस या कोई भी अधिकारी आपको लाठी मार सकता है, डंडे मार सकता है, आपको चोट पहुंचा सकता है. लेकिन ये हो रहा है. लॉकडाउन तोड़कर बिना वजह बाहर निकले जिन लोगों ने पुलिस की लाठियां खाई हैं, उन्हें पुलिस को इस बात का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि पुलिस ने उन्हें सिर्फ लाठी मारकर छोड़ दिया. अगर पुलिस इस अधिनियम को पूरी तरह से लागू कर देती तो बहुत से लोगों पर अबतक जुर्माना लगा होता और दो साल के लिए उन्हें जेल भेज दिया गया होता. लेकिन स्थितियां अब भी उतनी खराब नहीं हैं. लिहाजा पुलिस लोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रही है. और इसी वजह से वो लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई न करके सिर्फ लाठियां मारकर या फिर उन्हें समझाकर छोड़ दे रही है.

लेकिन 15 अप्रैल से जो लॉकडाउन पार्ट 2 शुरू हुआ है, उसमें सख्ती ज्यादा हो रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी साफ कर दिया है कि कम से कम 20 अप्रैल तक तो इस सख्ती से किसी तरह की छूट नहीं मिलती है. इसलिए अब पुलिस लाठियां भांजने की बजाय लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उन्हें जेल भेजना शुरू कर दे तो कोई ज्यादती नहीं होगी. बाकी इस लॉकडाउन में पुलिस के पास आईपीसी की धारा 188 के तहत भी ऐक्शन लेने का अधिकार है. आईपीसी की धारा 188 के मुताबिक अगर आपको ये पता है कि सरकार ने कोई आदेश जारी कर रखा है और फिर भी आप उसका पालन नहीं कर रहे हैं, भले ही उसकी वजह से आपका या फिर किसी और का कोई नुकसान न भी हो रहा हो, तब भी आपको एक महीने की जेल हो सकती है साथ ही 200 रुपये का जुर्माना भी हो सकता है. इसके अलावा अगर आपकी वजह से किसी के जान-माल को कोई खतरा होता है तो छह महीने की जेल और 1000 रुपये का जुर्माना होगा. इसलिए बेहतर है कि लॉकडाउन का पालन करिए, घर में रहिए तभी पुलिस की लाठी से भी बचेंगे और जेल जाने से भी.